sangatkar class 10 | संगतकार

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ध्वनि प्रस्तुति 



भावार्थ

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 9 sangatkar
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sangatkar class 10 भावार्थ
संगतकार की व्याख्या 


मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार


प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है।

भावार्थ : जब भी कहीं संगीत का आयोजन होता है तो मुख्य गायक के साथ संगत करने वाला अक्सर देखा जाता है। ज्यादातर लोग संगतकार पर ध्यान नहीं देते हैं और वह पृष्ठभूमि का हिस्सा मात्र बनकर रह जाता है। वह हमारे लिए एक गुमनाम चेहरा हो सकता है। हम उसके बारे में तरह-तरह की अटकलें लगा सकते हैं। लेकिन मुख्य गायक की प्रसिद्धि के आलोक में हममे से बहुत कम ही लोग उस अनजाने संगतकार की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार कर पाते हैं।


मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीने काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुअ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था।


प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है। 

 भावार्थ : सदियों से यह परंपरा रही है कि मुख्य गायक के सुर में संगतकार अपना सुर मिलाता आया है। मुख्य गायक की भारी आवाज के पीछे संगतकार की आवाज दब सी जाती है। लेकिन संगतकार हर क्षण अपनी भूमिका को पूरी इमानदारी से निभाता है। जब गायक अंतरे की जटिल तानों और आलापों में खो जाता है और सुर से कहीं भटक जाता है तो ऐसे समय में संगतकार स्थायी को सँभाले रहता है। उसकी भूमिका इसी तरह की होती है जैसे कि वह आगे चलने वाले पथिक का छूटा हुआ सामान बटोरकर कर अपने साथ लाता है। साथ ही वह मुख्य गायक को उसके बीते दिनों की याद भी दिलाता है जब मुख्य गायक नौसिखिया हुआ करता था।


तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढ़ाँढ़स बँधाता कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर


प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है। 

भावार्थ : जब तारसप्तक पर जाने के दौरान गायक का गला बैठने लगता है और उसकी हिम्मत जवाब देने लगती है तभी संगतकार अपने स्वर से उसे सहारा देता है।


कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग


प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग- 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है। 

भावार्थ : कभी-कभी संगतकार इसलिए भी गाता है ताकि मुख्य गायक को ये न लगे कि वह अकेला ही चला जा रहा है। कभी-कभी वह इसलिए भी गाता है ताकि मुख्य गायक को बता सके कि किसी राग को दोबारा गाया जा सकता है।


और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।


प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग - 2" में संकलित कविता" संगतकार" से लिया गया है। इसके रचयिता “मंगलेश डबराल जी” हैं। इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है। 

भावार्थ : इन सारी प्रक्रिया के दौरान संगतकार की आवाज हमेशा दबी हुई होती है। ज्यादातर लोग इसे उसकी कमजोरी मान लेते होंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। वह तो गायक की आवाज को प्रखर बनाने के लिए त्याग करता है और जानबूझकर अपनी आवाज को दबा लेता है।


सारांश 
संगतकार कविता का सार 

यह कविता संगतकार के बारे में है लेकिन यह हर उस व्यक्ति की तरफ इशारा करती है जो किसी सहारे की भूमिका में होता है। दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में किसी एक व्यक्ति की सफलता के पीछे कई लोगों का योगदान होता है। हम और आप उस एक खिलाड़ी या अभिनेता या नेता के बारे में जानते हैं जो सफलता के शिखर पर होता है। लेकिन हम उन लोगों के बारे में नहीं जानते जो उस खिलाड़ी या अभिनेता या नेता की सफलता के लिए नेपथ्य में रहकर अथक परिश्रम करता है।



Q&A

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प्रश्न 1. संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?

उत्तर- संगतकार के माध्यम से कवि उस तरह के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है जो महान और सफल व्यक्तियों की सफलता में परदे के पीछे रहकर अपना योगदान देते हैं। ये लोग महत्त्वपूर्ण योगदान तो देते हैं परंतु ये लोगों की निगाह में नहीं आ पाते हैं और सफलता के श्रेय से वंचित रह जाते हैं। मुख्य गायक की सफलता में साथी गायकों वाद्य कलाकारों, ध्वनि एवं प्रकाश व्यवस्था देखने वाले कलाकारों या कर्मियों का योगदान रहता है पर उन्हें इसका श्रेय नहीं मिल पाता है।


प्रश्न 2. संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?

उत्तर- संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और भी बहुत से क्षेत्रों में होते हैं

  • खेल में जीत का श्रेय कैप्टन को मिलता है जबकि विजेता बनाने में कई खिलाड़ियों का योगदान होता है। इसके अलावा उनके कोच और अन्य अनेक लोगों का योगदान होता है।
  • राजनीति के क्षेत्र में चुनाव में जीत केवल उम्मीदवार विशेष की होती है, परंतु उसे विजयी बनाने में छोटे नेताओं के आलावा चुनावी चंदा देने वाले, प्रचार करने वाले जैसे बहुतों का योगदान होता है।
  • सिनेमा के क्षेत्र में फ़िल्म को सफल बनाने में अगणित लोगों का योगदान होता है।
  • शिक्षा के क्षेत्र में परीक्षाफल बढ़ने का श्रेय अधिकारियों को मिलता है पर उसके लिए अध्यापकगण एवं अन्य कर्मचारियों का अमूल्य योगदान होता है।
  • किसी युद्ध को जीतने में सेनापति के अलावा बहुत से वीरों का योगदान होता है।


प्रश्न 3. संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?

उत्तर- संगतकार विभिन्न रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं; जैसे-

  • वे मुख्य गायक की भारी आवाज में अपनी सुंदर और कमज़ोर आवाज़ की गूंज मिलाकर गायन को प्रभावपूर्ण बना देते हैं .
  • गायक जब अंतरे के जटिल जंगल में खो जाते हैं तो संगतकार ही स्थायी को सँभाले रखकर उनकी मदद करते हैं।
  • तारसप्तक गाते समय संगतकार उसके स्वर में स्वर मिलाकर उसे अकेले होने का अहसास नहीं होने देते हैं।
  • संगतकार मुख्य गायक के स्वर से अपना स्वर ऊँचा न करके उसकी सफलता में बाधक नहीं बनते हैं।


प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए

और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है।
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है।
उसे विफलता नहीं।
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।

उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों का भाव यह है कि संगतकार जान-बूझकर अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से ऊँचा नहीं होने देते हैं। यह संगतकार द्वारा अपनी प्रतिभा का त्याग है जो योग्यता और सामर्थ्य होने पर भी मुख्य गायक की सफलता में बाधक नहीं बनता है और मानवता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 5. किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर- किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्ध पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। उनकी सफलता में योगदान देने वाले बहुत से लोग होते हैं जो परदे के पीछे रह जाते हैं और प्रकाश में नहीं आ पाते हैं। इसका एक उदाहरण देखिएहमारे क्षेत्र के वर्तमान विधायक श्री रमन शर्मा हैं। थोड़े दिनों पहले तक वे अत्यंत साधारण आदमी हुआ करते थे। उनके सद्व्यवहार से प्रेरित होकर लोगों ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। कुछ ने स्वेच्छा से तथा बीस लोगों की टीम ने उनके लिए चंदा एकत्र करना शुरू किया। युवा वर्ग ने स्वेच्छा से प्रचार का कार्य अपने जिम्मे सँभाल लिया। मुख्य बाज़ार के दो बड़े दुकानदारों ने पोस्टर, होर्डिंग्स और बैनर का खर्च उठाया। करीब बीस-पच्चीस लोग उनके साथ दिन-रात एक करके क्षेत्र में घूमते रहे और चुनाव होने तक साये की तरह उनके साथ रहे। आज इन सहयोगियों को कोई नहीं जानता है। श्री रमन शर्मा की गणना कर्मठ एवं ईमानदार विधायकों में की जाती है।


प्रश्न 6.कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- तारसप्तक गाते समय स्वरों के उतार-चढ़ाव में जब मुख्य गायक की आवाज़ बैठने लगती है और उसकी आवाज़ कुछ गिरती हुई महसूस होती है तब संगतकार मुख्य गायक के स्वर में स्वर मिलाकर उसे सहारा देते हैं तथा उसको स्वर बिखरने से पहले ही सँभाल लेते हैं और उसके गायन की सफलता को विफलता में नहीं बदलने देते हैं। इस प्रकार मुख्य गायक की सफलता में संगतकार की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है।

प्रश्न 7. सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?

उत्तर- सफलता के शीर्ष पर पहुँचकर जब कोई व्यक्ति अचानक लड़खड़ा जाता है तो उसके सहयोगी उसे साहस एवं हौंसला बनाए रखने के लिए प्रेरित करते हैं। वे तन-मन से ही नहीं, आवश्यकता होने पर धन से भी उसकी सहायता करते हैं। वे उसे उसकी कमियों के प्रति सचेत करते हैं तथा दुबारा सफलता के शीर्ष पर पहुँचाने में मदद करते हैं।



रचना और अभिव्यक्ति


प्रश्न 8. कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाए

(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।

(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?

उत्तर- 

(क) संगीत या नृत्य के कार्यक्रम में सहयोगी कलाकारों के न पहुँच पाने से मैं परेशान हो जाऊँगा। उनके न पहुँचने के कारणों का पता करूंगा। यथासंभव उन्हें बुलाने का प्रयास करूंगा। यदि वे नहीं आ सकेंगे तो मैं आयोजक को सारी बातें बताकर उनसे कहूँगा कि अपने स्तर से अन्य सहयोगी कलाकारों की व्यवस्था कराने का कष्ट करें ताकि मैं प्रस्तुति दे सकें।

(ख) ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए मैं आयोजकों एवं श्रोताओं के सामने सारी बात साफ़-साफ़ स्पष्ट कर दूंगा। और रिकार्डेड गीतों पर नृत्य प्रस्तुत करके बाँधे रखने का प्रयास करूंगा।

प्रश्न 9. आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर- सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सफलता में सहायक लोगों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। इनके सहयोग के बिना कार्यक्रम की सफलता की कल्पना करना भी बेमानी है। ये सहायक लोग ही कार्यक्रम के लिए आवश्यक वस्तुओं को एकत्र करते हैं, साज-सज्जा में विशेष योगदान देते हैं। वे अतिथियों के बैठने की व्यवस्था सँभालते हैं। मंच पर प्रकाश का उचित प्रबंध करते हैं। परदे के पीछे कुछ लोग रिकॉर्डिंग समय पर बजाकर कलाकारों की मदद करते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करते हैं।

प्रश्न 10. किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य यो शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?

उत्तर- किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर इसलिए नहीं पहुँच पाते है, क्योंकि

  • प्रतिभावान होकर भी वे मुख्य कलाकार से अलग होकर प्रस्तुति देने का हौंसला नहीं कर पाते हैं।
  • उन्हें शीर्ष स्थान पर पहुँचने तथा वहाँ बने रहने में संदेह रहता है।
  • आर्थिक समस्याएँ उनके मार्ग में बाधक बनती हैं।
  • उनमें से कुछ लोग स्वयं को भाग्य के हवाले कर देते हैं कि किस्मत में होगा तो शीर्ष स्थान हासिल कर लेंगे।
  • ऐसे लोगों को उचित अवसर एवं सहयोग नहीं मिल पाता है।


अन्य प्रश्न-उत्तर 

प्रश्न 1.संगतकार किन्हें कहा जाता है?

उत्तर- संगतकार उन व्यक्तियों को कहा जाता है जो मुख्य गायक के सहायक होते हैं। वे मुख्य गायक के स्वर में स्वर मिलाकर उसके गायन को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। वास्तव में संगतकारों के बिना मुख्य गायक की सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 2. संगतकार कभी-कभी यूँ ही मुख्य गायक का साथ क्यों देता है?

उत्तर- संगतकार कभी-कभी यूँ ही मुख्य गायक का साथ इसलिए देता है क्योंकि मुख्य गायक को यह लगे कि वह अकेला नहीं है। उसका साथ देने के लिए संगतकार भी है। ऐसा करके वह मुख्य गायक के उत्साह को कम नहीं होने देता है।

प्रश्न 3. तारसप्तक गाते समय मुख्य गायक को क्या-क्या परेशानियाँ होती हैं?

उत्तर- तारसप्तक सात स्वरों का समूह होता है जिनकी ध्वनियाँ साधारण, मध्यम और मंद होती हैं। इन सुरों को ऊँचा-नीचा या मध्यम बनाए रखने के क्रम में मुख्य गायक की आवाज़ बैठने लगती है। उसका उत्साह कमज़ोर होने लगता है और उसकी आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ प्रतीत होता है।

प्रश्न 4. मुख्य गायक और संगतकार के संबंध एक-दूसरे के पूरक हैं। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- मुख्य गायक और संगतकार के मध्य अटूट संबंध होता है। संगतकार के बिना मुख्य गायक प्रसिद्ध के शिखर पर नहीं। पहुँच सकता है। संगतकार मुख्य गायक को कदम-कदम पर सँभालकर उसके गायन को प्रभावी बनाए रखता है। इसी तरह मुख्य गायक संगतकार को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच प्रदान करता है। इस तरह दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

प्रश्न 5. संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है। वह यह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है?

उत्तर- संगतकार में योग्यता, प्रतिभा, क्षमता और अवसर होने पर भी वह अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से ऊँचा नहीं उठाता है तथा कभी भी अपनी गायिकी को मुख्य गायक के गायन से बेहतर सिद्ध करने का प्रयास नहीं करता है। इसे संगतकार की मनुष्यता कहा गया है। वह यह मनुष्यता मुख्य गायक को सम्मान देते हुए बनाए रखता है।

प्रश्न 6. लोग प्रायः संगतकार की विफलता किसे समझ बैठते हैं?

उत्तर- लोग देखते हैं कि मुख्य गायक की भारी भरकम आवाज़ के सम्मुख संगतकार की आवाज़ दबी रह जाती है। संगतकार चाहकर भी अपनी आवाज को ऊँचा नहीं उठा पाता है। इस प्रकार संगतकार सदा के लिए संगतकार या मुख्यगायक का सहायक बनकर रह जाता है। संगतकार द्वारा अपनी आवाज़ को न उठा पाने को लोग उसकी विफलता समझ बैठते हैं।

प्रश्न 7. वर्तमान में संगतकार जैसे व्यक्तियों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भूत, वर्तमान या भविष्य काल हो, संगतकार जैसे व्यक्तियों की प्रासंगिकता हर काल में रही है और रहेगी। संगतकार ही वह व्यक्ति होते हैं जो प्रसिद्ध या महान व्यक्तियों की सफलता में अपना अदृश्य योगदान देते हैं। ये लोग पर्दे के पीछे रहकर ऐसे व्यक्तियों की सफलता में विशिष्ट योगदान देते हैं। जैसे किसी अच्छे रेस्त्राँ के भोजन को स्वादिष्ट बनाने तथा उसे प्रसिद्ध दिलाने में बहुत से लोगों का योगदान होता है।

प्रश्न 8. ‘संगतकार’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘संगतकार’ कविता उन व्यक्तियों के योगदान पर प्रकाश डालती है जो मुख्य व्यक्तियों की सफलता के लिए अपनी इच्छाओं की बलि चढ़ा देते हैं। मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार उसके गायन को और भी सुंदर बनाते हैं तथा उसका उत्साह बनाए रखते हुए उसे अकेलेपन का अहसास नहीं होने देते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः सभी क्षेत्रों नृत्य, संगीत, खेल, राजनीति, उत्सवों के आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान देते हुए देखे जा सकते हैं। ये लोग अपनी महत्त्वाकांक्षा का त्यागकर अपनी मनुष्यता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।


जय हिन्द : जय हिंदी 
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